कोरोना वायरस (कोविड-19) की काट के तौर पर अभी तक कोई प्रभावी दवा या वैक्सीन मुहैया नहीं हो पाई है। ऐसे में इस घातक वायरस से मुकाबले के लिए मौजूदा दवाओं और वैक्सीन में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसी कवायद में किए जा रहे एक नए अध्ययन में मीजल्स-मम्प्स-रूबेला (एमएमआर) वैक्सीन यानी खसरे के टीके में उम्मीद की नई किरण दिखी है। यह वैक्सीन कोरोना के खिलाफ बचाव मुहैया करा सकती है। इस अध्ययन से इस बात पर भी रोशनी पड़ सकती है कि क्यों वयस्कों की तुलना में बच्चों में कोरोना संक्रमण और मौत की दर काफी कम है?
पूर्व के अध्ययन में भी यह बात सामने आ चुकी है। एमबायो पत्रिका में प्रकाशित नया अध्ययन इसकी पुष्टि करता है। इसके अनुसार, एमएमआर टीका कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षा मुहैया करा सकता है। कोरोना से उबरने वाले उन रोगियों में मम्प्स आइजीजी टाइटर्स या आइजीजी एंटीबॉडी के स्तर का इस वायरस के गंभीर संक्रमण से विपरित संबंध पाया गया है, जिन्हें पूर्व में एमएमआर टीका लगा था।
अमेरिका के जॉर्जिया में वर्ल्ड आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष और इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता जेफरी ई गोल्ड ने कहा, ‘हमने मम्प्स टाइटर्स के स्तर और 42 से कम उम्र वाले उन लोगों में कोरोना की गंभीरता के बीच एकदम विपरित संबंध पाया, जिनको एमएमआर टीके की दूसरी खुराक दी गई थी। इससे जाहिर होता है कि एमएमआर टीका कोरोना के खिलाफ सुरक्षात्मक हो सकता है।’ उन्होंने बताया कि एमएमआर वैक्सीन बच्चों को दी जाती है। ज्यादातर बच्चों को इस वैक्सीन की पहली खुराक नौ से 15 माह की उम्र में लग जाती है। जबकि दूसरी खुराक चार से छह वर्ष की उम्र में दी जाती है।