श्रीलंका में राष्ट्रपति के लिए हुए चुनाव के परिणाम रविवार को आ गये और प्रमुख विपक्षी नेता गोताबाया राजपक्षे को विजयी घोषित किया गया है। भारत की रणनीतिक हितों में इस पड़ोसी देश की अहमियत को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने बिना किसी देरी के राजपक्षे को जीत पर बधाई भी दी और इस पूरे क्षेत्र में शांति व समृद्धि के लिए उनके साथ काम करने की अपनी दिली मंशा भी जता दी।
राजपक्षे ने भी पीएम मोदी को धन्यवाद दिया, उनके साथ काम करने और जल्द ही मुलाकात करने की इच्छा व्यक्त की। राजपक्षे का चुनाव जीतना इसलिए महत्वपूर्ण है कि उनकी छवि भारत विरोधी से ज्यादा चीन समर्थक की रही है। साथ ही आतंकी संगठन लिट्टे के खिलाफ हुई कार्रवाई के दौरान वह रक्षा सचिव थे और उन पर निर्दोष तमिल आबादी के खिलाफ कार्रवाई को लेकर मानवाधिकार उल्लंघन के काफी आरोप लगे थे।
श्रीलंका से द्विपक्षीय सहयोगात्मक रिश्ता बनाने की कोशिश
नेपाल के बाद श्रीलंका इस क्षेत्र का दूसरा देश है जहां हुए चुनाव में किसी ऐसे व्यक्ति या पार्टी की जीत हुई है जिसकी छवि भारत समर्थक की नहीं रही है। नेपाल में भारत विरोधी छवि वाले केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में सरकार बनी लेकिन दोनो देशों के रिश्ते सामान्य गति से ही आगे बढ़ रहे हैं। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक भारत पहले ही यह निर्णय कर चुका है कि वह पड़ोसी देशों में होने वाले चुनाव में पूरी तरह से निष्पक्ष रहेगा और जो भी वहां की सरकार आएगी उसके साथ काम करेगा। अब वे दिन गए, जब कोई देश किसी देश की राजनीति को बदल सकता था। आखिरकार भारत भी एक साथ रूस और अमेरिका, सऊदी अरब और ईरान, इजरायल व फिलीस्तीन के साथ सामंजस्य बनाये हुए है। ऐसे में श्रीलंका में जो भी सरकार बनेगी, भारत उसके साथ द्विपक्षीय सहयोगात्मक रिश्ता बनाने की कोशिश करेगा।