Publish Date:Wed, 01/March2020
R24News : झरिया । कोरोना वायरस के संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए 21 दिनों का लॉकडाउन चल रहा है। आम और खास हर कोई इसका पालन कर रहा है। लोग अपने-अपने घरों में रह रहे हैं। इस विपदा और महामारी की घड़ी में भी चोर-अपराधी नहीं मान रहे हैं। वे लॉकडाउन का उल्लंघन कर अपराध को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे अपराधियों से अपील है कि वे भी लॉकडाउन का पालन करें। क्योंकि कोरोना वायरस यह नहीं सोचेगा कि अपराधी कितना बड़ा खूंखार है। अपराधी भी चपेट में आ गए तो कोरोना छोड़ेगा नहीं। इसलिए अपराधी लॉकडाउन तक घर में ही रहें।
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डुमरी में ठहरे मजदूररों से लूटपाट, लॉकडाउन में सिखों ने दी शरण
लॉकडाउन के दाैरान धनबाद जिले के झरिया के डुमरी तीन नंबर में दिल्ली की इंडियन जिओ टेक्निकल सर्विस कंपनी में कार्य करनेवाले चार मजदूर पिछले दिनों डुमरी तीन नंबर पहुंचकर तंबू में रह रहे थे। सभी मजदूर बोरिंग करते हैं। 25 मार्च की देर रात अपराधियों ने रिवाल्वर की नोंक पर तंबू में ठहरे मजदूरों से रुपये, मोबाइल आदि सामान लूट लिया। विरोध करने पर मजदूरों के साथ मारपीट कर जख्मी कर दिया। पड़ोस में रहनेवाले सिख वेलफेयर सोसायटी के सचिव सतपाल सिंह उर्फ बिट्टू ने जख्मी मजदूरों को चासनाला अस्पताल में इलाज की पहल की। गुरुद्वारा के पास शरण दिलवाई। सिख समाज मजदूरों को खाना भी दे रहे हैं।
पुलिस ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
एक मजदूर ने जोड़ापोखर थाना जाकर आपबीती सुनाई। पुलिस ने कहा कि छानबीन कर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने कहा कि खाने की दिक्कत होगी तो थाना आ जाना। इसके बाद मजदूर डुमरी चला आया। मजदूरों ने कहा कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू व इसके बाद लॉकडाउन से हमलोग यहीं फंसे रह गए। मौके पर पहुंचे मीडिया कर्मियों को देखकर मजदूरों की आंखों से आंसू छलक आए।
लूटपाट के बाद गांजा की मांग
मजदूरों ने बताया कि वे बिहार के गोड्डा व बांका के हैं। कहा कि छिनतई के बाद भी रात में अपराधी टेंट में आकर मारपीट कर खर्चा मांगते हैं। गांजा पिलाने को कहते हैं। मना करने पर जान मारने की धमकी देते हैं। मजदूरों कहा कि अब तो इलाज व खाने के भी पैसे नहीं हैं। लॉकडाउन के कारण घर भी नहीं जा सकते हैं। कंपनी से मदद नहीं मिल रही है। कंपनी का सुपरवाइजर अलाउद्दीन कटिहार का रहने वाला है। अभी धनबाद में रहता है। शुरु में खाने की सामग्री के लिए पैसे भेजता था। लॉकडाउन से सुपरवाइजर नहीं आ रहा है। हमलोगों के पास अब मोबाइल भी नहीं है। प्रशासन से सकारात्मक पहल की मांग की है।


