Publish Date:Mon, 4/May 2020
R24News : महाराष्ट्र के सांगली के रहने वाले पांडू कभी लोगों के दिलों पर राज करते थे। हिंदी फिल्मों और सर्कस के शो में उनके गुदगुदाने वाले अभिनय व प्रस्तुति को देख दर्शक न जाने कितनी देर तक हंसते रहते थे। तालियों की गडग़ड़ाहट से पांडू का इस्तकबाल होता था। उनके चेहरे और कद-काठी को देखते ही लोग हंस पड़ते थे। जोकर बनकर उल्टी-सीधी हरकतें कर अपना मजाक बनाकर दूसरे को हंसाने में पांडू को भी आनंद आता था। हालांकि ये सब गुजरे जमाने की बाते हैं। अब तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है। इस बीच किस्मत ने करवट ली और गिरिडीह में 2015 में एक सर्कस में हुए हादसे के कारण पांडू के स्पाइनल कोड में इतनी गहरी चोट लगी कि वह दिव्यांग हो गए। सर्कस वाले भी उन्हें इसी हालत में छोड़कर चले गए। उसके बाद से वह धनबाद के मिशनरीज ऑफ चैरिटी में व्हीलचेयर के सहारे एकांत में बैठकर अपने सुनहरे पलों को याद कर समय बिता रहे हैं।
पांडू जैमिनी, रॉयल और अंपायर जैसे नामी-गिरामी सर्कस में जोकर की भूमिका निभाते थे। एक शहर से दूसरे शहर में घूम-घूम कर सर्कस में जोकर बनकर लोगों को हंसाना उनका पेशा भी था और शगल भी। इसी बीच कमल हसन की फिल्म अप्पू राजा वर्ष 1990 में रिलीज हुई। इस फिल्म में पांडू ने जोकर का अभिनय कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। अप्पू राजा फिल्म की चर्चा करते हुए पांडू बताते है कि इस फिल्म की शूटिंग जैमिनी सर्कस में छह माह तक चली थी। मेरी अभिनय क्षमता से प्रभावित होकर कमल हसन ने अपनी फिल्म में काम करने की स्वीकृति दी थी। उन दिनों इस फिल्म ने खूब ख्याति अॢजत की लेकिन सर्कस के स्टेज पर अपनी पहचान बनाने का जज्बा रहनेवाले पांडू का फिल्मी सफर आगे न बढ़ सका। वह फिर दोबारा सर्कस की ओर मुड़े और जोकर बनकर लोगों को हंसाने लगे।
पांडू बताते हैैं कि वर्ष 2015 में अंपायर सर्कस के साथ उसकी पूरी टीम गिरिडीह पहुंची थी। जहां अभिनय के दौरान हुए एक हादसे में मेरी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी। इसके बाद मेरा सबकुछ छिन गया। सर्कस वालों ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। उनके कई रिश्तेदार भी सर्कस में थे, वे भी उन्हें अकेले छोड़कर चले गए। इसके बाद कुछ लोगों ने उन्हें धनबाद के मिशनरीज ऑफ चैरिटी में पहुंचाया। आज भी हंसना-हंसाना उनका प्रिय शगल है। पांडू के हौसले में अब भी कोई कमी नहीं आई है। अब आश्रय गृह ही उनका घर बन चुका है। गर्दिश और गम के बीच भी वह अक्सर हास्य के क्षण ढूंढते रहते हैैं।