नई दिल्ली स्पेन के एक पूर्व तानाशाह ने अपनी मौत के करीब चार दशक बाद संसद को परेशान कर रखा है। इस तानाशाह का नाम फ्रांसिस्को फ्रांको (Francisco Franco) है। 20 नवंबर 1975 को इस तानाशाह ने अंतिम सांस ली थी। स्पेन में ऐसे लोगों और राजनीतिज्ञों की कोई कमी नहीं है जो फ्रांको को एक निरंकुश फासीवादी मानते हैं। इनके मुताबिक उसने मुश्किल से मिली लोकतांत्रिक आजादी को खत्म कर दिया था। फ्रांको ने अपने शासनकाल के दौरान अपने विरोधियों को जेल में डालने के अलावा उन्हें कड़ी सजा दिलवाने का काम किया था। उसकी मौत के बाद देश में फिर से लोकतंत्र बहाली के अलावा उसके काल में सजा पाने वाले लोगों को माफी देने का काम किया गया। 2007 में स्पेन की सरकार ने उन लोगों की पहचान के लिए एक कानून बनाया गया जिन्हें उसके काल में प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी।
चार दशक बाद एक बार फिर से फ्रांको के नाम पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल, जब इस तानाशाह का देहांत हुआ था तब उसको वैली ऑफ द फॉलेन कॉम्प्लेक्स में दफनाया गया था। यह एक सरकारी कब्रगाह है। अब सरकार उस जगह उन लोगों स्मारक बनाना चाहती है, जिन्होंने यहां पर छिड़े गृहयुद्ध में अपनी जान गंवाई थी। लेकिन, इसमें फ्रांको की कब्र एक समस्या थी। लिहाजा सरकार ने जब फ्रांको के अवशेषों को दूसरी जगह दफनाने का फैसला किया तो उस पर बवाल हो गया। एक पक्ष का मानना है कि तानाशाह की कब्र को किसी भी ऐसी सम्मानित जगह बनाना उन लोगों का अपमान है जिन्होंने देश की आजादी को बनाए रखने के लिए जान दी। यह लोग वैली ऑफ द फॉलेन कॉ कॉम्प्लेक्स में स्मारक बनाने को लेकर एकमत हैं।