Publish Date:Wed, 25/March2020
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दूसरे प्रदेशों से आए हैं चार हजार से अधिक मजदूर
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किसी की नहीं हुई है कोई स्वास्थ जांच
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कोरोना वायरस के संक्रमण का बढ़ा खतरा
R24News : विभिन्न बागानों 12 लाख लोगों की जिंदगी खतरे में जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : कोरोना के कहर से बंगाल समेत पूरे देश में हाय तौबा है। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक लगातार लोगों से घर में रहने का आह्वान कर रही हैं। ऐसे में उत्तर बंगाल के हिल्स,तराई व डुवार्स में चाय बागान से जुड़े 12 लाख मजदूर जान हथेली पर लेकर काम करने को बाध्य है। कल तक चाय श्रमिक न्यूनतम मजदूरी को लेकर आंदोलन कर रहे थे। अब अपनी जान बचाने के लिए बुधवार को चाय श्रमिक आंदोलन पर उतरेंगे। चाय श्रमिक चाय बागानों में काम करने नहीं जाएंगे। इन मजदूरों को सभी ट्रेड यूनियन का सहयोग मिलेगा। मजदूरों का कहना है कि चिंता की बात यह है कि इन क्षेत्रों से रोजी रोजगार के लिएनोएडा, बेंगलुरु, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान आदि में काम के लिए गये चार हजार से अधिक श्रमिक कोरोना के कारण बंदी के बाद लौट आये हैं। ये सभी चाय बागानों में हैं। उनकी कोई जांच भी नहीं की गयी है। इसकी जानकारी स्थानीय थानों व जन प्रतिनिधियों को भी है। ये मजदूर अब चाय बागानों में काम करने लगे है जो चिंता का विषय है। भाजपा के दार्जिलिंग से सांसद राजू बिष्ट व अलीपुरद्वार के सांसद जॉन बॉरला ने चाय बागान को पूरी तरह बंद करते हुए कोरोना वायरस को लेकर सरकार द्वारा घोषित सभी सुविधाओं को चाय श्रमिकों को देने की मांग की है। 27 मार्च से लॉक डाउन को 31 मार्च तक पूरे बंगाल में बढ़ाया गया। आश्चर्य की बात है कि इसमें चाय बागान को इससे अलग रखा गया है। पड़ोसी राज्य असम में कोरोना वायरस को लेकर वहां के चाय बागान को बंद कर दिया गया है। इसको लेकर चाय श्रमिकों के आक्रोश को देखते हुए ट्रेड यूनियन भी रोष में है। ‘दैनिक जागरण’ से बात करते हुए सीटू के जिलाध्यक्ष गौतम घोष व समन पाठक, इंटक ट्रेड यूनियन नेता आलोक चक्रवर्ती, ज्वाइंट फोरम के संयोजक जिआउल आलम ने कहा कि सरकार या प्रशासन बताए कि क्या चाय बागान मजदूरों को कोरोना वायरस नहीं पकड़ेगा? जब सात लोग एक साथ कहीं आने जाने पर प्रतिबंध है तो कैसे यहां हजारों की संख्या में मजदूर एक साथ काम कर रहें है? जब सरकार असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया करा रही है तो चाय श्रमिकों के लिए कैसा डर? ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा कि कल तक मजदूरों के न्यूनतम मजदूरी देने की लड़ाई लड़ रहे थे अब उनकी जान बचाने की लड़ाई लड़ी जाएगी। चाय बागान मजदूर काम नहीं करेंगे। जब यह पूछा गया कि आखिर चाय बागानों को लॉक डाउन क्यों नहीं किया जा रहा है? ट्रेड यूनियन नेताओं ने कहा अगर यह मालिक की ओर से घोषित किया जाएगा तो मालिक को मजदूरों को मजदूरी देना पड़ेगा। सरकार अगर बंद करती है तो सरकार को चाय श्रमिकों की सुविधा असुविधा की जिम्मेदारी लेनी होगी। ट्रेड यूनियन नेताओं का कहना है कि चाय बागानों में स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति भी सरकार व प्रशासन गंभीर नहीं है। यूनियन की ओर से कहा गया है कि नीम की पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर बागानों में चाय श्रमिक अपने घरों के आसपास छिड़काव करें। जरुरत पड़ी तो इसको लेकर यूनियन की ओर से अन्य व्यवस्था कराएगी।


