Publish Date:Wed, 01/March2020
R24News : केरल के एक मरीज, जिन्हें मंगलुरु के सरकारी अस्पताल से भर्ती कराया गया था। उन्हें जबरन छुट्टी दे दी गई, वह लगभग 50 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पैदल चलता गया और फिर आखिरकार बेहोश हो गया। बता दें कि 21 मार्च को नारियल के पेड़ से गिरने के बाद रोगी बालन को मंगलुरु के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां सीमा के करीब गिरे आदमी ने पुलिस को बताया कि उन्हें अस्पताल के अधिकारियों द्वारा जबरन निकाल दिया गया था।
कासारगोड के पुलिस अधीक्षक पी एस साबू ने कहा, सूचना मिलने पर, केरल पुलिस ने मरीज और उसके रिश्तेदार के लिए एक वाहन की व्यवस्था की और उन्हें कान्हा गढ़ उनके घर पहुंचाया। बता दें कि चूंकि कर्नाटक ने COVID-19 के प्रकोप और लॉकडाउन के बाद कासरगोड के साथ सीमाओं को बंद कर दिया है। इससे मंगलुरु के अस्पतालों पर निर्भर रोगियों को उनके इलाज के लिए वहां जाना बेहद मुश्किल हो रहा है।
कर्नाटक द्वारा सीमा सड़कें बंद करने के बाद 27 मार्च से केरल के सात गंभीर रूप से बीमार रोगियों ने अपनी जान गंवाई है। बता दें कि सोमवार को कोरोना को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच केरल निवासी एक परिवार ने कर्नाटक पुलिस पर अमानवीयता का आरोप लगाया। आरोप था कि 70 वर्षीय बीमार महिला को इलाज के लिए मेंगलुरु ले जा रही एंबुलेंस को राज्य की सीमा पर रोक दिया गया। जिससे अगले दिन उसकी मौत हो गई।
महिला कर्नाटक की ही रहने वाली थी और अपने बेटे के साथ केरल के कासरगोड में रह रही थी। जब उसकी हालत गंभीर हुई तो परिजन एंबुलेंस से उसे मेंगलुरु स्थित अस्पताल ले जाने लगे। आरोप है कि कर्नाटक पुलिस ने सीमा पर ही लॉकडाउन का हवाला देते हुए एंबुलेंस को रोक दिया। इससे महिला को प्राथमिक चिकित्सा केंद्र ले जाना पड़ा, जहां से प्रारंभिक इलाज के बाद घर भेज दिया गया। रविवार की सुबह महिला की मौत हो गई। हालांकि, इस संबंध में कर्नाटक पुलिस के किसी भी अधिकारी ने कोई टिप्पणी नहीं की थी।


