Publish Date:Sat, 21/March2020
R24News : धनबाद । एक तो चुनावी आहट और ऊपर से कोरोना की अफरातफरी। इससे मुखिया और पार्षद जबरदस्त टेंशन में हैं। कारण भी है। कोरोना के खौफ के कारण बाहर गए लोग अब घरौंदों को वापस लौट रहे हैं। लेकिन, ऐसे लोगों को पड़ोसी ही शक की निगाह से देखकर मुखियाजी का टेंशन बढ़ा रहे हैं। बाहर से आए किसी शख्स ने खांसा नहीं कि मुखिया जी का फोन घनघना उठता है। सीधे कोरोना का संदिग्ध करार दे दिया जाता है। इस कारण रात-बेरात मुखिया जी का फोन बज रहा है। आ जाती है संदिग्ध की जांच की व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी। अब उन्होंने जांच की व्यवस्था करा दी तो उस परिवार की नाराजगी झेलिए और न कराई तो अगल-बगल के लोगों। स्थिति सांप-छुछुंदर वाली है। कुछ तेज मुखिया ने तो स्थिति भांप कर अपने मोबाइल फोन को ही ‘आइसोलेट’ कर लिया है। करते रहिए फोन। नहीं लगेगा।
हड़बड़ी के हेल्पलाइन से मुसीबत
इस समय कोरोना को लेकर हर तरफ हाय-तौबा का माहौल है। लोगों में तमाम तरह की शंका-आशंकाएं है। जरूरतमंदों की तत्काल मदद के लिए हरसंभव प्रयास भी किए जा रहे हैं। लेकिन, हड़बड़ी में गड़बड़ी भी हो ही जा रही है। अब स्वास्थ्य विभाग के हेल्पलाइन को ही लीजिए न। कोरोना को लेकर विभाग ने आननफानन में सभी प्रखंडों में डॉक्टरों की विशेष टीम बनाकर उनका हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया। दावा किया गया कि इन नंबरों पर फोन करते ही चिकित्सक तत्काल मदद को हाजिर हो जाएंगे, लेकिन हड़बड़ी में कुछ नंबर नौ तो कुछ 11 अंकों के जारी हो गए। जबकि नंबर 10 अंकों के होने चाहिए थे। ये नंबर सभी जगह प्रसारित भी कर दिए गए। मगर, जब लोगों ने इनपर संपर्क करने का प्रयास किया तब गड़बड़ी का पता चला। अब लोग कह रहे हैं-हेल्पलाइन नंबर ने ही मुसीबत बढ़ा दी।
मुझको भी तो मास्क दिला दे…
कभी प्रसिद्ध गायक अदनान सामी ने गाया था-बंगला, मोटर कार दिला दे। गाना जबरदस्त हिट हुआ था और सबकी लबों पर चढ़ गया था। अभी इसका अंदाज बदल गया है। अभी लोग बंगला, मोटर, कार नहीं बल्कि एक अद्द मास्क की मांग कर रहे हंै। और आलम यह है कि कोरोना के खतरे के बीच मास्क गधे की सींघ की तरह गायब हैं। मास्क देने में इसके थोक विक्रेता तक सरेंडर कर चुके हैं। धनबाद की तो छोड़ दीजिए, लोग आसपास के पड़ोसी जिलों के बाजारों की भी खाक छान रहे हैं, लेकिन हर जगह निराशा ही हाथ आ रही है। प्रशासन ने भी भरोसा दिलाया था कि मास्क रियायती दर पर मिलेगा, पर ना। अभी तक प्रशासन के स्तर से भी पहल नहीं हुई है। जहां इसके मिलने की उम्मीद होती है-लोग बस एक ही बात कहते हैं- मुझको भी तो मास्क दिला दे।


