Publish Date:Wed, 18/March2020
-
रघुवर दास सरकार ने 18 अप्रैल 2016 को लागू की थी
-
1985 से राज्य में रहने वालों को स्थानीय माना गया है
R24News : रांची/ रघुवर दास सरकार की बनाई गई स्थानीय नीति में बदलाव होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने मंगलवार को बैठक कर इसमें बदलाव करने का निर्णय लिया। स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए मंत्रियों की तीन सदस्यीय कैबिनेट सब कमेटी बनेगी। मंत्रियों के नाम तय करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है। नाम पर मुहर लगते ही सब कमेटी के सदस्य स्थानीय नीति की नई परिभाषा के लिए काम शुरू कर देंगे।
मालूम हो कि राज्य में लागू स्थानीय नीति रघुवर दास सरकार ने 18 अप्रैल 2016 को लागू की थी। इसमें 1985 से राज्य में रहने वालों को स्थानीय माना गया है। इसमें थर्ड ग्रेड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में प्राथमिकता और कई स्थानों उनके लिए पूरी तरह से रिजर्व रखने की बात थी। 2 मार्च को राज्य सरकार ने विधानसभा में विधायक विनोद सिंह के एक सवाल के जवाब में कहा था कि स्थानीय नीति में सुधार का कोई औचित्य नहीं है। उल्लेखनीय है कि झामुमो ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में कहा था कि जहां तक आवश्यकता होगी, वर्तमान स्थानीय नीति में बदलाव किया जाएगा। जनता की भावना के अनुरूप नई स्थानीय नीति बनेगी। झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन सरकार बनने के बाद झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने 15 जनवरी को कहा था कि स्थानीय नीति के लिए कट ऑफ डेट 1932 ही किया जाना चाहिए।
लोगों के काम जल्द निपटाने को बनेगा प्रशासनिक आयोग
अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में प्रशासनिक सुधार आयोग बनाने का फैसला किया गया है। पूर्व विकास आयुक्त देवाशीष गुप्ता की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय आयोग के गठन पर कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। आयोग को 6 माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को देने को कहा गया है। आयोग को सभी विभागों के संरचना, उसके पुनर्गठन और प्रशासनिक सुधार संबंधी कार्यों के लिए अनुशंसा करनी है। एजेंसियों के क्या काम होंगे और पब्लिक कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए क्या-क्या सुधार होने चाहिए, इस पर भी अायोग को रिपोर्ट देनी है। अायोग में कार्मिक सचिव के अलावे अभियंत्रण विशेषज्ञ, प्रबंधन विशेषज्ञ, आईटी विशेषज्ञ और आईएएस या राज्य प्रशासनिक सेवा के विशेष सचिव या संयुक्त सचिव स्तर के एक पदाधिकारी सदस्य होंगे। उल्लेखनीय है कि रघुवर सरकार ने देवाशीष गुप्ता के नेतृत्व में जमीनों के मामलों को लेकर एक एसआईटी बनाई थी। हेमंत सोरेन सरकार ने भी देवाशीष गुप्ता के नेतृत्व में प्रशासनिक सुधार आयोग बनाने का फैसला किया है।
समय पर काम नहीं होने पर जिम्मेवार अफसर दंडित होंगे
राइट टू गारंटी अाॅफ सर्विस एक्ट के तहत लोगो को समय पर सेवा उपलब्ध नहीं कराने पर संबंधित अधिकारी अब दंडित होंगे। कैबिनेट ने इस अधिनियम में संशोधन करते हुए धारा 11 में एक प्रावधान जोड़ा है कि शिकायत मिलने पर प्रशासी विभाग शीघ्र जांच कर संबंधित पदाधिकारी के खिलाफ अनुशासनिक अौर दंड की कार्रवाई होगी। प्रशासनिक विभाग को अगर यह लगता है कि सेवा देने की गारंटी के तहत हुए कामों में संबंधित पदाधिकारी आनाकानी कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकेगा।
जनसमस्याएं निपटाने को सीओ ऑफिस में होगा विधायक चैंबर
केके खंडेलवाल ने बताया कि सभी सीओ ऑफिस में विधायकों की बैठने की व्यवस्था होगी। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है इस संबंध में सभी प्रखंड मुख्यालयों को निर्देश दे दिया गया है। इससे लोगों के काम जल्द से जल्द पूरे हो सकेंगे।
हाईकोर्ट भवन के अधूरे काम 106 करोड़ से होंगे पूरे
नए हाईकोर्ट भवन एवं परिसर के निर्माण में आई बाधा अब दूर हो गई है। कैबिनेट में हाईकोर्ट भवन के बचे कामों को फिर से कराने के लिए नए सिरे से टेंडर और 106 .21 करोड़ रुपए के कामों की प्रशासनिक स्वीकृति दी है। पहले 366 करोड़ में हाईकोर्ट परिसर में भवन बनाने की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी। लेकिन कुछ कामों को छोड़कर बाद में 267 करोड़ का टेंडर हुआ था। उसमें से 295 करोड का काम हुआ। लेकिन पूरा नहीं हो सका। अब कैबिनेट ने शेष बचे कामों को पूरा करने के पहले पुराने कामों को क्लोज करने और बांकी कामों को नए सिरे से करने के लिए टेंडर की व्यवस्था करने को कहा है। कुल मिलाकर करीब 401 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है।


