Publish Date:Tue, 17/March2020
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खान विभाग के अफसरों ने डुबाे दिए 1042 करोड़, अतिरिक्त मुआवजा दिया, सरकारी भूमि के हस्तांतरण में गड़बड़ी हुई
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सीएजी रिपोर्ट 2019 में कहा गया है- बजट निर्माण की प्रक्रिया तर्कसंगत बने, ताकि बजट अनुमान और वास्तविकता के बीच का अंतर कम रहे
R24News : पटना/ सीएजी ने बिहार सरकार को ‘रियलिस्टिक’ यानी वास्तविक बजट बनाने को कहा है। सोमवार को बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश सीएजी रिपोर्ट 2019 में कहा गया है-’बजट निर्माण की प्रक्रिया तर्कसंगत बने, ताकि बजट अनुमान और वास्तविकता के बीच का अंतर कम हो। वर्ष 2017-18 में राजस्व व्यय 8 फीसदी और पूंजीगत व्यय 6 फीसदी बढ़ा। लेकिन यह बजट प्राक्कलन 19979 करोड़ से 3289 करोड़ कम था।’ रिपोर्ट में सरकार के कर संग्रह विभागों की गड़बड़ियां व कर्मियों के कारनामे बताए गए हैं। खान विभाग के अफसरों ने 1042 करोड़ डुबोए। इसकी विजिलेंस जांच की अनुशंसा की गई है। वहीं 5 डीएलओ (भू अर्जन पदाधिकारी) ने 299.65 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में जमा कराने की बजाए अपने बैंक खातों में रख लिया। 34500 करोड़ सरेंडर हुए।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 755.25 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी
रिपोर्ट में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की 755.25 करोड़ की गड़बड़ी की चर्चा है। यह अतिरिक्त मुआवजा, राजस्व राशि को खजाने में जमा नहीं करने आदि से संबंधित है। सरकारी भूमि के हस्तांतरण में गड़बड़ी हुई। भोजपुर व वैशाली जिले की ऐसी गड़बड़ी से 16 करोड़ का चूना लगा। खान एवं भूतत्व विभाग में अधिकारियों की निष्क्रियता व नियमों के प्रतिकूल काम करने के कारण 1042 करोड़ की चपत लगी। सीएजी ने विजिलेंस जांच के दायरे में खान पदाधिकारी से लेकर खान आयुक्त तक को रखने को कहा है। सीएजी की जांच, खासकर जमुई व लखीसराय जिले में हुई थी।
पत्थर खदानों व बालू घाटाें की बंदोबस्ती में अनियमितता
रिपोर्ट के अनुसार रोहतास में पत्थर खदानों की बंदोबस्ती में अनियमितता के कारण 196.27 करोड़ रुपए वसूल नहीं हो सके। गया में पत्थर खदानों की बंदोबस्ती में गड़बड़ी से 488.23 करोड़ रुपए डूबे। औरंगाबाद में पत्थर खदानों की बंदोबस्ती में अनियमितता से 25.68 करोड़ की क्षति हुई। 5 जिलों के बालू घाटों के बंदोबस्ती में अनियमितता पायी गयी। जमुई, लखीसराय में 164.39 करोड़ की वसूली नहीं हुई। गोपालगंज, सीवान में 166.89 करोड़ की हानि हुई। सहरसा में 99.58 लाख रुपए डूबे।
34570 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं हुए, विभिन्न विभागों ने सरेंडर किए
रिपोर्ट में कहा गया है-2018 में कुल बचत 46397 करोड़ का 75 फीसदी यानी 34570 करोड़ विभिन्न विभागों ने सरेंडर किया। कुल बचत की 25 फीसदी राशि लैप्स हुई। अंतिम समय में सरेंडर से इसके उपयोग की गुंजाइश नहीं बची। 189 एकाउंट हेड से शत-प्रतिशत 3591 करोड़ रुपए सरेंडर हुए। 2017-18 के दौरान सबसे ज्यादा राशि का सरेंडर शिक्षा विभाग ने किया-7703 करोड़। ग्रामीण विकास विभाग ने 51566 करोड़, समाज कल्याण विभाग ने 2142, नगर एवं आवास विकास विभाग ने 1811 करोड़, आपदा प्रबंधन विभाग ने 1362 करोड़ व खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने 1208 करोड़ सरेंडर किया।


