कोरोना काल के दौरान लोगों का वर्क कल्चर बिल्कुल उलट गया। कुछ महीनों तक तो लोगों ने अपना दफ्तर तक नहीं देखा। न्यू नॉर्मल के बाद भी अब तक कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करने को कहा है। इस बीच, काम के तरीकों में भी कई तरह के बदलाव आ गए हैं। मसलन, कर्मचारियों के बीच सोशस डिस्टेंसिंग, मीटिंग्स के लिए वीडियो कॉन्फ्रेसिंग। उम्मीद यही है कि आने वाले समय में भी देश और दुनिया के वर्क कल्चर में इसी तरह के नए इनोवेटिव बदलाव जारी रहेंगे। साथ ही लोग भी इन बदलावों के साथ जीना सीख लेंगे।
1. जारी रह सकता है वर्क फ्रॉम होम
भारत में वर्क फ्रॉम होम को शायद ही कोई अच्छा विकल्प मानता था। ज्यादातर मैनेजरों का मानना है कि कर्मचारियों को बेहतर काम करने के लिए देर तक दफ्तर में रहना जरूरी है। यही वजह है कि कोरोना के दौर में मैनेजर और उनकी टीम के बीच के भरोसे की परीक्षा हो रही है। फेसबुक और टीसीएस जैसी बड़ी कंपनियों ने 2025 तक अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करने को कहा है। भारत में भी अब तक कई कंपनियां रोटेशन में कर्मचारियों से घर से काम ले रही हैं। ऐसे में, वर्क डेस्क फर्नीचर रखने का चलन भी बढ़ रहाहै और इसमें काफी इजाफा हुआ है।
2. ज्यादा जगह की होगी जरूरत
चूंकि अब घर से काम करना न्यू नॉर्मल बन गया है इसलिए कंपनियां अपने स्टाफ को सुरक्षित रखने के लिए दफ्तरों और काम करने की जगहों में बदलाव कर रही है। कम से कम अभी कुछ दिनों के लिए तो दफ्तरों में कोई भी कर्मचारी साथ-साथ या पास में नहीं बैठेंगे। अब दफ्तरों में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के लिए ज्यादा जगह बनानी होगी। फिजिकल डिस्टेंसिंग के छह फीट दूरी वाले मानक को देखते हुए भी दफ्तरों में ज्यादा जगह की जरूरत पड़ेगी।
3. फ्रीलांस का बदलेगा नजरिया
फ्रीलांस, शॉर्ट टर्म पर नौकरियों की अधिकता वाली इकोनॉमी मजबूत होगी। ‘शेफ ऑन कॉल’ जैसी चीज़ें सच हो जाएंगी, क्योंकि लोग रेस्तरां जाने से तो बचेंगे लेकिन रेस्तरां के जायके वाले खाने को अपनी रसोई में बनवाना चाहेंगे। ऐसी जॉब्स जिनमें आपको ग्राहकों के साथ काम करना पड़ता है जैसे सैलून, ब्यूटी पॉर्लर, घर के काम, फिजियोथेरेपिस्ट, जिम ट्रेनर, कोरियोग्राफर्स व एक्टर्स के काम को पहले ही असुरक्षित माना जा रहा है।
4. डिजिटल मोड में दुनिया
कई नौकरियां अब डिजिटल मोड में भी जा रही हैं। मिसाल के तौर पर, योग, जांस और संगीत के ट्रेनर लाइव स्ट्रीमिंग और वीडियो क्लास के जरिए अपना काम कर रहे हैं। एचआर के पेशे में काम करने वाले कुछ लोगों का कहना है कि क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और साइबर सिक्योरिटी जैसी स्किल्स की जानकारी वाले इंजीनियर, डेटा एनालिस्ट और डेटा साइंटिस्ट की ज्यादा जरूरत पड़ेगी।
5. पारंपरिक पेशों में भी तब्दीली
तेजी से बदलती दुनिया में लोक कला, शिक्षा समेत कई ऐसे सेक्टर्स हैं जिन पर साल 2020 की मार काफी भारी रही। ऐसे में, उसे टैकल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, एप्स बेस्ड वर्किंग मॉड्यूल्स और सोशल व कमर्शियल साइट्स के जरिए यूजरबेस तक पहुंचने का चलन बढ़ेगा। लाइव स्ट्रीमिंग, ग्रूप स्ट्रीमिंग, डिजिटल पार्टनरशिप के जरिए थिएटर, ऑपेरा, म्यूजिकल कन्सर्ट भी इस साल बाउंस बैक करने की कोशिश कर रहे हैं।
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