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R24 News:सीडीएस रावत ने कहा- सेना तो कमर से नीचे ही पैलेट गन चलाती है, पत्थरबाज झुकते हैं इसलिए चेहरे पर गोली लगती है

सीडीएस रावत ने कहा- सेना तो कमर से नीचे ही पैलेट गन चलाती है

R24 News:सीडीएस रावत ने कहा- सेना तो कमर से नीचे ही पैलेट गन चलाती है, पत्थरबाज झुकते हैं इसलिए चेहरे पर गोली लगती है
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  • सीडीएस बिपिन रावत ने कहा- जो देश आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे, उन्हें भी सबक सिखाने की जरूरत
  • ‘आतंकवाद पर काबू पाने के लिए एक देश को एफएटीएफ द्वारा ब्लैक लिस्ट और कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करना जरूरी’

R24 News

Jan 16, 2020, 03:26 PM

नई दिल्ली. सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को रायसीना डायलॉग में कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल पर बात की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सेना पर पथराव की घटनाओं में कमी आई है। यह देखा गया कि कश्मीर के युवा आतंकियों के समर्थन में पत्थरबाजी करते थे। यह खतरनाक था, जिससे जान जाने का भी खतरा था। सुरक्षाबलों ने इसे रोकने के लिए पैलेट गन की मदद ली। यह घातक हथियार नहीं है। इससे पैर में निशाना लगाया जाता है, ताकि उपद्रवियों को रोका जा सके। पैलेट गन का कारतूस कई लोगों के चेहरे पर लगा। वजह यह थी कि लोग पत्थर उठाने झुकते थे, पैर पर निशाना लगाने के बावजूद उनके चेहरे पर कारतूस लगा।

आतंकवाद के खिलाफ युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। हमें इसे तब तक जारी रखना होगा, जब तक इसकी जड़ तक न पहुंच जाएं। रावत ने रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन के कार्यक्रम में कहा, “हमें आतंकवाद के खात्मे के लिए ठीक उसी तरह के प्रयास करने होंगे, जैसा अमेरिका ने 9/11 की घटना के बाद किया था। हम सबको इसके खिलाफ एक वैश्विक युद्ध शुरू करना होगा। आतंकवादियों को अलग-थलग करना होगा। जो देश इसे बढ़ावा दे रहे हैं, उन्हें भी सबक सिखाना होगा।”

‘आतंकियों को धन मुहैया करा रहे’

पाकिस्तान का नाम लिए बगैर रावत ने कहा, “आतंकी गतिविधियां लंबे समय से जारी हैं और यह किसी खास देश द्वारा चलाई जा रही हैं। वे आतंकियों को छद्म युद्ध के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। वे उन्हें हथियार और धन मुहैया करा रहे हैं। इसके कारण हम आतंकवाद पर काबू पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे, इसलिए हमें उनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।” उन्होंने यह भी कहा, “मुझे लगता है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा ब्लैकलिस्ट करना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है और साथ ही उसे कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करना भी जरूरी है।”

एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकियों पर उचित कार्रवाई न करने के कारण 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला था। पिछले साल अक्टूबर में हुई बैठक में उसे ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए फरवरी 2020 तक का डेडलाइन दिया गया है। उसे इस दौरान आतंकियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी होगी। अगर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्टेड किया जाएगा, तो उसे विश्व बैंक समेत अन्य देशों से भी वित्तीय मदद हासिल नहीं हो पाएगी।

सीडीएस की जिम्मेदारियां स्पष्ट और पूरी तरह परिभाषित है: जनरल रावत

रावत के मुताबिक, ‘‘सीडीएस एक ऐसा पद है, जो तीनों सेना प्रमुखों के समकक्ष बराबर तो है, लेकिन उसकी जिम्मेदारियां स्पष्ट और पूरी तरह परिभाषित हैं। अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए एक समझौते की आवश्यकता है और इसके लिए बातचीत की जानी चाहिए। साथ ही, तालिबान को हथियार छोड़कर राजनीति के मुख्यधारा में आना होगा।

पाकिस्तान को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए: ब्रिटेन

ब्रिटेन फॉरेन एंड कॉमनवेल्थ ऑफिस के निदेशक गैरेथ बेले ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकी समूह सक्रिय हैं और उन्हें उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि पाकिस्तान एफएटीएफ द्वारा ब्लैकलिस्टेड होने से बचना चाहता है तो उसे आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी होगी। पाकिस्तान के खिलाफ सारे सबूत हैं। पाकिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ कुछ कार्रवाई की है और कुछ पर काम चल रहा है। यह तो पूरी तरह स्पष्ट है कि आतंकवादी समूह पाकिस्तान के अंदर से चलाए जा रहे हैं। यह पाकिस्तान सरकार और पूरे दक्षिण एशिया के लिए गंभीर चुनौती है।”

क्या है रायसीना डायलॉग?
रायसीना डायलॉग पहली बार 2015 में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन थिंक टैंक ने भारतीय विदेश मंत्रालय के सहयोग से शुरू किया था। हर साल इसमें अलग-अलग देशों के प्रमुख और विदेश मंत्री पहुंचते हैं। इस साल 17 देशों के मंत्री और विदेश नीति के जानकार कार्यक्रम में पहुंचे हैं। इनमें ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ, श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अन्य नेता पहुंचे।

Posted By: Aditya Dubey R24 News

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