Publish Date:Fri, 26/June 2020
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अस्थायी संप हाउसों का हो रहा निर्माण, लेकिन गंगा भवन संप हाउस से काम नहीं ले रहा बुडको
R24News : राजधानी में जलजमाव से निपटने के लिए 39 संप हाउस का इस्तेमाल हो रहा है। वर्ष 2019 की बारिश के बाद सरकार के स्तर पर 27 नए अस्थायी संप हाउस के निर्माण की योजना पर भी काम शुरू हो चुका है। लेकिन, यहीं एक ऐसा संप हाउस है ऐसा है जिसे बिना कारण बंद कर दिया गया है। वह है – कंकड़बाग का गंगा भवन संप हाउस।
कंकड़बाग में सबसे पहले सीवरेज को ट्रीट कर कॉलोनी से बाहर निकालने के लिए गंगा भवन संप हाउस को साल 1976 में 40 एचपी का पंप लगाकर इसे शुरू कराया गया। इसके 30 साल बाद 2006 में यहां एक और 40 एचपी का पंप लगाया गया। गंगा भवन संप हाउस की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए वर्ष 2010 में यहां करीब 70 लाख रुपए की लागत से नए पंप लगाए गए।
2010 में लगी थी लाखों की मशीन
इस संबंध में जब बुडको के पीआरओ चंद्रभूषण कुमार से बात की गई तो उन्होंने इंजीनियरों के हवाले से कहा कि गंगा भवन संप हाउस के सभी एलाइनमेंट को एनबीसीसी संप हाउस से जोड़ दिया गया है। इसलिए गंगा भवन संप हाउस की आवश्यकता नहीं रह गई है। इसके पंप काफी पुराने हो गए थे। इस कारण नए संप हाउस के जरिए सीवरेज को ट्रीट कर पानी की निकासी कराई जा रही है।
संप हाउस को बंद करने के पीछे साजिश: वार्ड पार्षद
वार्ड पार्षद संजीत कुमार बबलू का कहना है कि गंगा भवन संप हाउस को बंद किए जाने के पीछे बड़ी साजिश है। कंकड़बाग में जब यह संप हाउस है तो फिर नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत नए सिरे से सीवरेज नेटवर्क बिछाए जाने का क्या औचित्य है? अगर इस लाइन में कहीं गड़बड़ी है तो उसे सुधारा जाए। इसके चालू होने से कंकड़बाग में जलजमाव की समस्या को काफी हद तक काबू में किया जा सकता है।
कोर्ट में भी पहुंचा है मामला
पटना हाईकोर्ट में दायर वकील शशिभूषण कुमार की याचिका में इस संप हाउस का भी जिक्र है। वर्ष 2005 में भी तारकेश्वर ओझा ने भी गंगा भवन संप हाउस को चालू कराने की मांग की थी। कोर्ट के आदेश के बाद इसे चालू भी कराया गया। इसके बाद वर्ष 2007 में केके शरण की याचिका के निष्पादन के क्रम में तत्कालीन नगर विकास सचिव ने गंगा भवन सीवरेज संप हाउस और योगीपुर ड्रेनेज संप हाउस तक अलग-अलग सफाई कराने का आदेश दिया था। हालांकि, दोनों ही मामलों में आगे कार्रवाई नहीं हो सकी।