हिंदी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाते हैं। इस साल अन्नपूर्णा जयंती आज 29 दिसंबर दिन मंगलवार को है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन व्रत करने से घर अन्न, खाद्य पदार्थों और धन्य-धान से भर जाता है। आज के दिन मां अन्नपूर्णा की विधि विधान से पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने लोक कल्याण के लिए भिक्षुक रुप धरा था और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा अवतार धारण किया। आइए जानते हैं अन्नपूर्ण जयंती के मुहूर्त, महत्व एवं कथा के बारे में।
व्रत एवं पूजा मुहूर्त
मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि आज 29 दिसंबर को प्रात:काल 07 बजकर 54 मिनट से लगी है, जो 30 दिसंबर बुधवार को सुबह 08 बजकर 57 मिनट तक है। ऐसे में अन्नपूर्णा जयंती का व्रत आज रखा जाएगा।
अन्नपूर्णा जयंती की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी अन्नहीन हो गई थी। बंजर होने के कारण उस समय फसल, फल आदि नहीं हुए। इससे पृथ्वी लोक में हाहाकार मच गया। प्राणों पर संकट आ गए। तब भगवान शिव ने भिक्षुक का स्वरूप धारण किया और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का अवतार लिया। भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा में अन्न मांगे। मां अन्नपूर्णा ने उनको अन्न दिए तो वे उसे लेकर पृथ्वी पर गए। उसे सभी प्राणियों में बांट दिए। इसके फल स्वरुप दोबारा पृथ्वी धन, धान्य, फल, फूल से हरी भरी हो गई। उस दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा थी। इस वजह से हर वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है।
अन्नपूर्णा जयंती की पूजा
पूर्णिमा के दिन स्नान आदि से निवृत होकर किचन और पूजा स्थान की सफाई होती है। उसके बाद गैस चूल्हे या चूल्हे की पूजा करें। फिर मां अन्नपूर्णा तथा भगवान शिव को फूल, फल, अक्षत्, धूप, दीप आदि से विधिपूर्वक पूजा करें। आरती के बाद मां अन्नपूर्णा से आशीष लें कि आपका घर अन्न, धन-धान्य से भरा रहे।