कोरोनावायरस का जब तक खात्मा नहीं हो जाता तब तक इस बीमारी की रोकथाम को लेकर शोध चलते ही रहेंगे। शोधकर्ताओं में इस बात को लेकर शोध चल रहा है कि क्या बिना मास्क के फेस शील्ड कोरोना से बचाव में असरदार है। शोधकर्ताओं के मुताबिक बिना मास्क के सिर्फ फेस शील्ड पहनना कोविड-19 से बचाव में कारगर नहीं है, क्योंकि हवा के प्रवाह से आसपास के छोटे कण प्लास्टिक के बने इन शील्ड के भीतर पहुंच सकते हैं।
फिजिक्स ऑफ फ्लूइड्स नामक जर्नल में प्रकाशित शोध में पाया गया कि फेस मास्क के विकल्प के रूप में फेस शील्ड का इस्तेमाल स्कूलों, विश्वविद्यालयों, रेस्तरां और सेवा व्यवसायों में लगे लोग ज्यादा कर रहे हैं।
जापान में फुकुओका यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों सहित कई वैज्ञानिकों ने कहा है कि छींकने से जो कण निकलते हैं, वे फेस शील्ड को पार कर सकते हैं।
अध्ययन के सहलेखक फुकुओका यूनिवर्सिटी से फुइजो अकागी ने कहा ये कण फेस शील्ड से होकर तुरंत महज आधे से एक सेकंड के भीतर चेहरे तक पहुंच सकते हैं जिससे व्यक्ति को छींकें आनी शुरू हो सकती हैं।
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि फेस शील्ड पहना व्यक्ति अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के आस पास एक मीटर के दायरे में रहता है तो संक्रमित व्यक्ति की छींक का उसपर क्या असर होगा।
विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा कि छींक के बाद निकले कण बेहद तेज गति से निकलते हैं और हवा में भी इनका प्रवाह तीव्र होता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि ये कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि इन्हें माइक्रोस्कोप के माध्यम से ही देखा जा सकता है। ये कण शील्ड के ऊपरी और निचले खुले किनारों से होते हुए भीतर चेहरे तक पहुंच सकते हैं, जो संक्रमण का कारण बन सकता है।वैज्ञानिकों का मानना है कि मास्क के बगैर सिर्फ फेस शील्ड पहनना कोविड-19 से बचाव में बिल्कुल कारगर नहीं है।