Indira Gandhi Birth Anniversary : भारत की आयरन लेडी के तौर पर जब भी जिक्र किया जाता है तो इसमें एक नाम ही जहन में आता है, इंदिरा गांधी का। कहा तो यहां तक जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उन्हें दुर्गा कहा था। लेकिन, इसको लेकर प्रमाणिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं है कि इंदिरा गांधी कड़े फैसलों को लेने से कभी पीछे नहीं हटती थीं। बांग्लादेश उनकी ही बदौलत आज एक आजाद मुल्क की हैसियत रखता है। इंदिरा गांधी ने ही वहां पर अपनी सेना भेजने का फैसला लिया था और इसका अंत 80 हजार पाकिस्तान सैनिकों की आत्म समर्पण और बांग्लादेश की आजादी से हुआ था।
आपातकाल बनी मुसीबत
19 नवंबर 1917 में जन्मी इंदिरा का बचपन देश की राजनीति के इर्द-गिर्द ही बीता था। यही वजह थी कि उन्होंने इसकी बारिकियों को करीब से जाना समझा। इसकी बदौलत उन्हें आगे बढ़कर कड़े फैसले लेने की समझ भी विकसित हुई। उनके द्वारा लिए गए ये फैसले उनकी दमदार छवि को दिखाते हैं। हालांकि इस दमदार छवि के उलट उन्होंने जो आपातकाल का फैसला किया उसको हर तरफ विरोध हुआ। इसका नतीजा केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार का बनना था। हालांकि यह सरकार कुछ ही समय में गिर गई थी और देश की जनता ने दोबारा इंदिरा गांधी पर ही विश्वास जताया था।
Publish Date:Tue, 19 Nov 2019 09:22 AM (IST)
Indira Gandhi के वो फैसले जो हमेशा रहेंगे याद, वैश्विक मंच पर भारत को दिलाई थी पहचान
Indira Gandhi Birth Anniversary पूरी दुनिया मानती है कि यदि इंदिरा गांधी कदम आगे नहीं बढ़ाती तो बांग्लादेश कभी भी पाकिस्तान के आतंक से बाहर नहीं निकल सकता था।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Indira Gandhi Birth Anniversary : भारत की आयरन लेडी के तौर पर जब भी जिक्र किया जाता है तो इसमें एक नाम ही जहन में आता है, इंदिरा गांधी का। कहा तो यहां तक जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उन्हें दुर्गा कहा था। लेकिन, इसको लेकर प्रमाणिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं है कि इंदिरा गांधी कड़े फैसलों को लेने से कभी पीछे नहीं हटती थीं। बांग्लादेश उनकी ही बदौलत आज एक आजाद मुल्क की हैसियत रखता है। इंदिरा गांधी ने ही वहां पर अपनी सेना भेजने का फैसला लिया था और इसका अंत 80 हजार पाकिस्तान सैनिकों की आत्म समर्पण और बांग्लादेश की आजादी से हुआ था।
आपातकाल बनी मुसीबत
19 नवंबर 1917 में जन्मी इंदिरा का बचपन देश की राजनीति के इर्द-गिर्द ही बीता था। यही वजह थी कि उन्होंने इसकी बारिकियों को करीब से जाना समझा। इसकी बदौलत उन्हें आगे बढ़कर कड़े फैसले लेने की समझ भी विकसित हुई। उनके द्वारा लिए गए ये फैसले उनकी दमदार छवि को दिखाते हैं। हालांकि इस दमदार छवि के उलट उन्होंने जो आपातकाल का फैसला किया उसको हर तरफ विरोध हुआ। इसका नतीजा केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार का बनना था। हालांकि यह सरकार कुछ ही समय में गिर गई थी और देश की जनता ने दोबारा इंदिरा गांधी पर ही विश्वास जताया था।
भारत का न्यूक्यिलर टेस्ट
जिस वक्त दुनिया के ताकतवर देश भारत को लेकर धमकाने में जुटे थे उस वक्त इंदिरा गांधी ने न्यूक्यिलर टेस्ट कर दुनिया को आश्चर्य में डाल दिया था। इस टेस्ट ने भारत को परमाणु ताकत के रूप में स्थापित किया था। हालांकि दुनिया के बड़े मुल्क इस हरकत से काफी खफा थे और भारत को उनके कड़े रुख का सामना करना पड़ा था। लेकिन इससे इंदिरा न तो घबराई और न ही विचलित हुईं। उन्होंने लगातार भारत को विकास के पथ पर अग्रसर रखा। उनके इस फैसले ने दुनिया को यह बता दिया था कि भारत अपने हित के लिए किसी भी कदम से पीछे नहीं हटने वाला है।