Publish Date: Mon, 20/Jan2020 किसानों की आंखों में फसल के रेशे लगने की वजह से कार्निया डेमेज हो जा रही है।
R24 News : रायपुर खेतों में फसल कटाई के दौरान आंखों में धान या उसकी बालियां लगने से कार्निया फटने के केस बढ़ते जा रहे हैं। वहीं समय पर इलाज नहीं मिलने से लोगों को अंधापन घेर रहा है। छत्तीसगढ़ में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार 2018 से आंखों के कार्निया ट्रांसप्लाट और इलाज के लिए अंधत्व कॉर्निया ब्लाइंडनेस योजना चलानी पड़ी। इससे मरीजों का इलाज सरकारी के अलावा प्राइवेट अस्पतालों में भी निशुल्क किए जाने का प्रावधान है। आपको बता दें कि खेतों के काम करने के दौरान किसानों की आंखों में फसल के रेशे लगने की वजह से कार्निया डेमेज हो जा रही है। वहीं समय पर इलाज नहीं कराने के चलते वे अंधता की ओर बढ़ते चले जाते हैं। खेतों में काम करने वाले लगभग 60 फीसद से अधिक किसान इससे प्रभावित हैं। सरकारी सर्वे के मुताबिक 2018-19 की स्थिति में 1069 केस ऐसे किसानों के मिले जिनके आंखों का कार्निया पूरी तरह से डेमेज स्थिति में थे।
इसके अतिरिक्त निजी व सरकारी अस्पतालों में कार्निया की दिक्कत की वजह से इलाज के लिए आने वालों की संख्या लगभग पांच लाख से अधिक हैं। नेत्र विशेषज्ञों की माने तो कार्निया में दिक्कत आने पर इलाज तो 100 फीसद हो जाता है। लेकिनचिकित्सा सुविधा में देरी से जिंदगी भर के लिए लोगों को अंधा कर सकत है। कार्निया अधिक खराब होने की स्थिति में ट्रांसप्लांट ही एक माध्यम है। जिसके इलाज से लोगों को ठीक किया जा सकता है।
कॉर्निया आंख का पारदर्शी हिस्सा है, जो आंख का दो तिहाई भाग है। कॉर्निया में कोई रक्त वाहिका नहीं होती बल्कि इसमें तंत्रिकाओं का एक जाल होता है। जो आंसू और आंख के अन्य पारदर्शी द्रव का निर्माण करते हैं। यह प्रकाश को आंख की पुतली में आने देता है। इसलिए ये आंखों का महत्वपूर्ण भाग है। कॉर्निया ऑपरेशन में चिकित्सक कॉर्निया से जुड़ी तंत्रिकाओं को सुन्नकर बिना रक्त बहाए इस ऑपरेशन करते हैं।
इन स्थितियों में कॉर्निया की दिक्कत
आंखों के कॉर्निया में परेशानी दुर्घटना आंखों में चोट आने पर, आंख आने की स्थिति में, इंफ्रेक्शन के दौरान होता है। लेकिन किसानों द्वारा बिना किसी सुरक्षा का इस्तेमाल किए बिना ही खेतों में फसल कटाई की जाती है। जिससे उनके रेसे आंखों में चुभ जाते हैं, जो लगभग 90 फीसद केस में कार्निया को पूरी तरह से खराब कर देते हैं। वहीं समय पर इलाज नहीं होना आंधता का कारण भी बन जाता है।
कॉर्निया के लिए छह हजार रुपये अतिरिक्त
सरकार आंधता कार्निया ब्लाइंडनेस योजना 2018 से संचालित कर रही है, जो 2020 तक चलेगी। इसमें शासकीय अस्पताल, मेडिकल कॉलेज के अलावा सात निजी अस्पतालों को सरकार ने चिन्हांकित किया है। जहां कार्निया ट्रांसप्लांट व इलाज होता है। नहीं होने की स्थिति में निजी अस्पतालों को आई बैंक से कॉर्निया मंगाने के लिए सरकार छह हजार रुपये अतिरिक्त देती है।
आंखों के कार्निया में दिक्कत से सबसे अधिक किसान ही प्रभावित है। मोतियाबिंद के बाद सबसे अधिक आंखों की बीमारी सामने आई है। वो ग्लोकोमा और कॉर्निया है। इसका इलाज तो शत प्रतिशत संभव है, लेकिन समय पर उपचार नहीं हुआ तो हमेशा के लिए आंखों की रोशन भी छीन सकती है। कॉर्निया बीमारी को दूर करने के लिए सरकारी अभियान भी संचालित है। जिसमें ट्रांसप्लांट से लेकर इलाज की सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही। – डॉ. सुभाष मिश्रा, राज्य नोडल अधिकारी
आंखों के कॉर्निया में दिक्कत की वजह से 70 से अधिक लोगों का एक वर्ष में ऑपरेशन किया गया है। इसके अलावा ओपीडी में सैकड़ों केस पहुंचते हैं। इनमें अधिकांश किसानों को ही दिक्कत आती है। लेकिन इलाज जल्द नहीं कराने से लोगों की परेशानियां बढ़ जा रही है। वहीं अंतिम स्टेज पर ट्रांसप्लांट ही उपाय है। किसानों को फसल कटाई के समय आंखों की सुरक्षा के लिए सेफ्टी गॉगल पहना जरूरी है। जो 50 से 60 रुपये तक बाजार में उपलब्ध है। – डॉ. संतोष सिंह पटेल, नेत्र रोग विशेषज्ञ, आंबेडकर अस्पताल
Posted By: Aditya Dubey R24 News