Publish Date: Sat, 25/Jan2020 आत्मसमर्पण के बाद पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों के साथ तीनों नक्सली।
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आत्मसमर्पण करने वाले तीनों नक्सलियों को सौंपा गया चेक, एक नक्सली है एक लाख का इनामी
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सरेंडर करने वाले नक्लियों ने कहा- सरकार के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से हम हुए प्रभावित
R24News : दुमका/ भाकपा माओवादी संगठन के तीन हार्डकोर नक्सलियों ने शुक्रवार को पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों में झिलमिल उर्फ गहना राय उर्फ राजेंद्र राय, सोकुल दा उर्फ रिमिल दा और संतु उर्फ छोटा श्यामलाल देहरी शामिल है। छोटा श्यामलाल एक लाख, राजेंद्र देहरी और रिमिल दा पांच-पांच लाख रुपए का इनामी है। डीआईजी राजकुमार लकड़ा, एसपी वाईएस रमेश, डीसी राजेश्वरी बी के मौजूदगी में सरेंडर करने वाले तीनों नक्सलियों को चेक सौंपा गया।
नक्सलियों ने एसएसबी के आईजी संजय कुमार, दुमका डीआईजी राजकुमार लकड़ा, उपायुक्त राजेश्वरी बी और एसपी वाईएस रमेश और एसएसबी के कामांडेंट एमके पांडेय के सामने सरेंडर किया। इनके खिलाफ कई थानों में नक्सली घटनाओं में शामिल होने का मामला दर्ज है। इन तीनों नक्सलियों को झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति नई दिशा के तहत मिलने वाले लाभ दिए जाएंगे।
तीनों नक्सलियों ने कहा- मुख्यधारा में लौट परिवार के साथ अच्छा जीवन जीना चाहते हैं
सरेंडर करने वाले तीनों नक्सलियों ने कहा कि वे मुख्यधारा में लौटकर परिवार एवं समाज के बीच रहकर अच्छा जीवन जीना चाहते हैं। नक्सली गहना राय उर्फ राजेंद्र राय उर्फ झिलमिल दुमका के काठीकुंड थाना क्षेत्र के आसनबनी का रहनेवाला है। भाकपा माओवादी संगठन के सक्रिय सदस्य सब जोनल राजेंद्र राय पर पांच लाख रुपए का इनाम घोषित था। राजेंद्र राय पर गोपीकांदर, रामगढ़ और काठीकुंड थाना में पांच मामले दर्ज हैं।
राजेंद्र राय ने संगठन में शामिल होने का कारण बताया कि वर्ष 2015 में मेरे पिता का देहांत हो गया था। भाईयों ने घर का बंटवारा कर लिया। समय बीतता गया और भाईयों ने मेरा ध्यान रखना भी बंद कर दिया। मैं अपने जीवन जीने के लिये रोजगार खोज रहा था। परंतु मुझे कोई भी काम नहीं मिला। एक दिन जंगल में घुमने के दौरान नक्सली दस्ता के संपर्क में आया। उनलोगों के द्वारा मुझे अच्छा खाने-पीने, पढ़ाने एवं रहने का प्रलोभन दिया गया। मेरी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी। जिस कारण मैं उनलोगों के प्रलोभन में आ कर दस्ता में शामिल हो गया। संगठन छोड़ने के कारण के सवाल पर उसने कहा कि संगठन में शामिल होने के बाद वो नक्सली दस्ता के साथ जंगल-जंगल एक गांव से दूसरे गांव में घूमता रहता था। जिस जंगल में दस्ता रुकता था, वहां के नजदीकी गांव के गरीब लोगों को डरा धमका कर खाने-पीने एवं रहने की व्यवस्था कराई जाती थी। साथ ही लोगों का शोषण कर दस्ता के लिये रुपए की उगाही किया करते थे। समय गुजरने के साथ मुझे समझ आया कि ये सब गलत है। मुझे सरकार के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति की जानकारी हुई। मुझे मुख्यधारा में आने एवं सामान्य रूप से जीवन-यापन करने का अच्छा अवसर दिखा। आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर मैं आत्मसमर्पण कर रहा हूं।
वहीं छोटा श्यामलाल देहरी दुमका काठीकुंड के पहाड़िया टोला का रहनेवाला है। देहरी पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित था। देहरी पर शिकारीपाड़ा, काठीकुंड और रामगढ़ थाना में छह मामले दर्ज हैं। देहरी ने नक्सली संगठन में शामिल होने का कारण बताया कि मई-2013 में गांव में शादी थी। शादी में दस्ता के कुछ लोग आये थे। इनलोगों के द्वारा मुझे अच्छा खाने-पीने, पढ़ाने एवं रहने का प्रलोभन दिया गया। मेरी उम्र काफी कम थी। मेरे घर के हालत भी अच्छी नहीं थी। पैसे की काफी तंगी थी। इस कारण जब इनलोगों के द्वारा पैसे का प्रलोभन दिया गया तो मैं लालच में आ गया और दस्ता में शामिल हो गया। संगठन छोड़ने के सवाल पर उसने कहा कि जब मैं संगठन में शामिल हुआ तो मुझसे तरह-तरह का काम लिया जाने लगा। नौकरों की तरह रात-दिन काम लिया जाता था। जंगल-जंगल एक स्थान से दूसरे स्थान भटकते रहते थे। संगठन के लोगों द्वारा मेरा शोषण किया जा रहा था। संगठन के लोग ग्रामीणों का शोषण एवं उन्हें मारते-पीटते थे। कुछ समय के बाद मुझे भी समझ में आने लगा की ये सब गलत हो रहा है। मैं यहां आकर अपना जीवन खराब कर चुका हूं। गांव-गांव घूमने के दौरान पुलिस के आत्मसमर्पण नीति का पता चला। इससे प्रभावित होकर मैंने आत्मसमर्पण किया है।
सरेंडर करने वाला तीसरा नक्सली रिमिल दा उर्फ सोकुल दा दुमका के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के जोलउंगाल सीतासाल गांव का रहने वाला है। सोकुल दा पर पांच लाख रुपए का इनाम घोषित था। सोकुल दा पर गोपीकांदर, रामगढ़, काठीकुंड और रामगढ़ थाना में सात मामले दर्ज हैं। संगठन में शामिल होने का कारण बताया कि 2013 में मां-पिता के देहांत के बाद चाचा के द्वारा प्रताड़ित किया गया और जमीन भी हड़प ली गई। खान-पीने की दिक्कत हो गयी थी। जंगल में गाय-बकरी चराने के दौरान वहां ठहरे नक्सली दस्ता के सदस्यों ने मुझे बुलाया और मेरी समस्याओं को सुना। फिर उन्होंने मुझे खाने-पीने, पढ़ाने एवं रोजगार देने का प्रलोभन दिया जिसके बाद मैं नक्सली दस्ता में शामिल हो गया। संगठन छोडने के कारण के बारे में बताया कि नक्सलियों द्वारा जिस बात का प्रलोभन देकर मुझे दस्ता में शामिल किया गया था वो झूठा निकला। मुझसे नौकर की तरह काम लिया जाता था। संगठन में मेरा शोषण किया जाने लगा। छोटी-छोटी गलतियों पर सजा दी जाती थी एवं पुलिस का भी खतरा हमेशा बना रहता था। गांव-गांव घूमने के दौरान आत्मसमर्पण नीति के बारे में सुना और आज प्रभावित होकर मैं आत्मसमर्पण कर रहा हूं।
ये है नक्सलियों का पुनर्वास पैकेज…
1. गृह निर्माण के लिए 4 डिसमील जमीन
2. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1.20 लाख रुपए
3. व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए एक साल तक 6,000 प्रति माह
4. परिवार की चिकित्सा- निःषुल्क
5. बच्चों की शिक्षा के लिए 40,000/- वार्षिक
6. पुत्रियों के विवाह के लिए 30,000 रुपए
7. स्व-रोजगार के लिए 4 लाख रुपए ऋृण
8. जीवन बीमा- 5 लाख रुपए का
9. परिवार के समूह जीवन बीमा- 1 लाख रुपए का
10. खुला जेल सह पुनर्वास केन्द्र की सुविधा दी जायेगी।
11. उपायुक्त द्वारा लोक अभियोजक पुलिस उपाधीक्षक एवं कार्यपालक दण्डाधिकारी का एक समिति बनाकर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली के खिलाफ दर्ज मामलों की समीक्षा की जाएगी।
Posted By: Aditya Dubey R24 News