Publish Date: Tue, 21/Jan2020प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप के तहत शहर के तीन और मथुरा का एक बस स्टैंड का किया था चयन। नहीं मिला अभी तक फंड।
R24 News : ‘खुदा मिला, न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे हम’ कुछ इसी तरह का हाल है परिवहन निगम के आगरा के तीन और मथुरा के एक बस स्टैंडों का है। इनका प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) अन्तर्गत चयनित किया गया था, उम्मीद थी कि ये चारों बस स्टैंड आधुनिक होंगे, पर ऐसा हुआ है। रखरखाव के अभाव में इनकी हालत पहले से भी खराब हो गई है।
प्रदेश भर में बनने वाले 21 हाईटेक बस स्टैंड में आगरा का ईदगाह, बिजलीघर, आइएसबीटी एवं मथुरा का पुराना बस अड्डा भी शामिल था। इनको लखनऊ के आलमबाग बस टर्मिनल की तर्ज पर प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत हाइटेक बनाना था। इन बस स्टैंडों में योजना के अनुसार शॉपिंग मॉल भी बनाना था। बस स्टैंडों की पीपीपी मॉडल में चयनित होने की जानकारी जब परिवहन निगम के अधिकारियों को हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा, लेकिन अब यह निर्णय उनके लिए मुसीबत बन गया है। इन बस स्टैंडों की हालत और ज्यादा खराब हो गई है। चूंकि बस स्टैंड पीपीपी मॉडल के तहत चयनित हैं तो इनके रखरखाव के लिए भी मुख्यालय से धनराशि नहीं आ रही है। इसके चलते अधिकारी बस स्टैंड पर होने वाले छोटे-मोटे काम भी नहीं करा पा रहे हैं।
ईदगाह, बिजली घर, आइएसबीटी बस स्टैंड का यार्ड तो इतनी बुरी हालत में हैं कि यहां कभी भी हादसा हो सकता है। बस यार्ड उखड़ने के कारण बिखरी पड़ी मोटी-मोटी गिट्टी यात्री के साथ हादसे का कारण बन रही है, पर इस ओर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी
पीपीपी के तहत आगरा के तीन व मथुरा के एक बस स्टैंड समेत प्रदेश के 21 को हाईटेक किया जाना है। इनमें से अधिकांश पर काम चल रहा है। आगरा के लिए अभी कंपनी का टैंडर पास नहीं हुआ है।
अतुल भारती, प्रधान प्रबंधक (कार्मिक), लखनऊ
मामला मुख्यालय स्तर का है। सुनने में आया है कि तीन बार टैंडर हो चुका है, लेकिन अभी तक किसी कंपनी को काम नहीं मिला है। इसकी वजह से परेशानी हो रही है।
एमके त्रिवेदी, क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज बस परिवहन निगम, आगरा
Posted By: Aditya Dubey R24 News