Publish Date:Sun, 19/Jan2020

R24 News : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को भारत का अंदरूनी मामला बताया है। उन्होंने इसके साथ ही कहा, हम समझ नहीं पा रहे हैं कि भारत में इस कानून की जरूरत क्या थी? सीएए के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबूधाबी में गल्फ न्यूज को दिए साक्षात्कार में हसीना ने कहा, मुझे अब भी यह समझ में नहीं आ रहा कि भारत सरकार ने यह क्यों किया? इसकी कोई जरूरत नहीं थी। हसीना का बयान बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन के उस बयान के कई सप्ताह बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सीएए और एनआरसी भारत के आंतरिक मामले हैं, लेकिन अगर इसको लेकर भारत में किसी तरह की अनिश्चितता का माहौल बनता है तो उससे पड़ोसी देशों पर भी असर पड़ेगा। बांग्लादेश की 16 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 10.7 फीसद हिंदू जबकि महज 0.6 फीसद बौद्ध हैं।
बांग्लादेश की पीएम ने इस बात से साफ इन्कार किया कि उनके देश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते अल्पसंख्यक समुदायों ने भारत पलायन किया है। उन्होंने इन्हीं वजहों से किसी अन्य देश के नागरिकों के बांग्लादेश आने की बातों को भी नकारा। हसीना ने कहा, बांग्लादेश ने हमेशा से कहा है कि सीएए और एनआरसी भारत के आंतरिक मामले हैं। भारत सरकार ने भी यही बात दोहराई है। अक्टूबर, 2019 में नई दिल्ली की यात्रा के दौरान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे व्यक्तिगत रूप से यह आश्वासन दिया था। बांग्लादेश और भारत के बीच विभिन्न क्षेत्रों में प्रगाढ़ संबंध हैं। असम में अवैध बांग्लादेशियों की पहचान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एनआरसी की प्रक्रिया शुरू की गई थी। 30 अगस्त को प्रकाशित अंतिम एनआरसी से 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया।
बांग्लादेश और भारत के बीच संबंध इस समय सबसे अच्छे
शेख हसीना ने कहा कि भारत सरकार ने अपनी ओर से भी दोहराया है कि एनआरसी भारत का आंतरिक मामला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अक्टूबर 2019 में नई दिल्ली की यात्रा के दौरान व्यक्तिगत रूप से इसे लेकर आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और भारत के बीच संबंध इस समय सबसे अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा है।
असम में एनआरसी
गौरतलब है कि एनआरसी असम में रहने वाले वास्तविक भारतीय नागरिकों और राज्य में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान करने के लिए तैयार किया गया है। 3.3 करोड़ आवेदकों में से, 19 लाख से अधिक लोगे 30 अगस्त को प्रकाशित अंतिम एनआरसी से बाहर हैं। हालांकि, इन लोगों नागरिकता साबित करने के कई अन्य मौके मिलेंगे। वहीं दूसरी ओर नागरिकता संशोधन कानून पिछले महीने संसद में पास हुआ। इस कानून का देश में काफी विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान तीनों देशों में सताए जाने की वजह से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
Posted By: Aditya Dubey R24 News