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R24 News : समाजशास्त्र का अर्थशास्त्र पर असर / दिल्ली में नागरिकता कानून संबंधी प्रदर्शनों पर विदेशी निवेश को लेकर वित्त मंत्री को क्यों देना पड़ा स्पष्टीकरण, समझते हैं हॉन्गकॉन्ग के प्रदर्शनों से

R24 News : समाजशास्त्र का अर्थशास्त्र पर असर / दिल्ली में नागरिकता कानून संबंधी प्रदर्शनों पर विदेशी निवेश को लेकर वित्त मंत्री को क्यों देना पड़ा स्पष्टीकरण, समझते हैं हॉन्गकॉन्ग के प्रदर्शनों से
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Publish Date:Fri, 28/Feb2020

  • एक दशक में पहली बार हॉन्गकॉन्ग की अर्थव्यवस्था मंदी में पहुंची

  • 2019 की तीसरी तिमाही में हॉन्गकॉन्ग की ग्रोथ रेट -2.9% पर पहुंची

  • हॉन्गकॉन्ग में राजनीतिक अस्थिरता के कारण 2019 में एफडीआई  48% घटी

R24News : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को आश्वासन दिया कि पिछले दिनों दिल्ली में नागरिकता कानून को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों से विदेशी निवेशकों का भारत पर भरोसा नहीं घटा है। लेकिन सवाल यह उठता है सरकार को यह स्पष्टीकरण क्यों देना पड़ रहा है। यह समझने के लिए हमें हॉन्गकॉन्ग चलना होगा। हॉन्गकॉन्ग में भी नागरिकों की आजादी से जुड़े मुद्दे पर पिछले साल जून में थोड़े से लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। इसे सरकार पुलिस बल के सहारे दबाती रही, लेकिन छोटे से प्रदर्शन ने धीरे-धीरे जनांदोलन का रूप ले लिया। इससे विदेशी निवेशकों में डर पैदा हुआ और 2019 में हॉन्गकॉन्ग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 48 फीसदी घट गया। 2019 की तीसरी तिमाही में हॉन्गकॉन्ग की ग्रोथ रेट -2.9% पर पहुंच गई। एक दशक में पहली बार हॉन्गकॉन्ग की अर्थव्यवस्था मंदी में पहुंच गई। रिटेल सेल भी नकारात्मक हो गई और हॉन्गकॉन्ग आने वाले टूरिस्ट की संख्या में तेजी से गिरावट आई। हॉन्गकॉन्ग की अर्थव्यवस्था को कई अन्य नुकसान भी हुए। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में प्रदर्शनों का सिलसिला यदि जल्द नहीं रुका, तो भारत में भी विदेशी निवेश में बड़ी गिरावट आ सकती है।

हॉन्गकॉन्ग में विदेशी निवेश 48 फीसदी घटकर 55 अरब डॉलर पर आया, प्रदर्शन के बाद हॉन्गकॉन्ग में सोशल लाइफ पर असर
हॉन्गकॉन्ग में पिछले साल बड़े पैमाने पर सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति रही थी। 20 जनवरी को युनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (अंकटाड) ने इन्वेस्टमेंट टेंड्स मॉनीटर रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि राजनीतिक अस्थिरता के कारण हॉन्गकॉन्ग में पिछले साल एफडीआई 48 फीसदी घट गया। 2018 में हॉन्गकॉन्ग को 104 अरब डॉलर का एफडीआई मिला था। जबकि 2019 में उसे महज 55 अरब डॉलर का एफडीआई मिल सका। इसी रिपोर्ट के मुताबिक भारत को 2019 में 49 अरब डॉलर का एफडीआई मिला है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी हाल में कह चुके हैं कि विदेशी निवेशक उन देशों में पैसे नहीं लगाते हैं, जहां राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता का माहौल होता है।

क्या हुआ था हॉन्गकॉन्ग में
हॉन्गकॉन्ग में यूं तो पहले से ही कुई दूसरे कारणों से प्रदर्शन चल रहे थे, लेकिन 2019 में हॉन्गकॉन्ग की सरकार द्वारा भगोड़ा अपराधी संशोधन विधेयक पेश किए जाने के बाद एक नया प्रदर्शन शुरू हो गया। इस प्रदर्शन ने काफी उग्र रूप धारण कर लिया। लोगों की यह मान्यता थी कि सरकार ने चीन की शह पर यह विधेयक पेश किया है। यदि यह विधेयक कानून बन जाता है, तो हॉन्गकॉन्ग में रहने वाले या वहां की यात्रा करने वाले लोग सीधे चीन के कानूनों के दायरे में आ जाएंगे और चीन हॉन्गकॉन्ग के किसी भी व्यक्ति को पकड़कर ले जाने में कानूनी तौर पर सक्षम हो जाएगा। इससे हॉन्गकॉन्ग की स्वायत्ता घटेगी और लोगों की आजादी कम होगी। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हॉन्गकॉन्ग की पुलिस काफी बर्बरता से पेश आई और इस दौरान बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया। विधेयक के खिलाफ पहला बड़ा प्रदर्शन 9 जून को हुआ और इसके बाद लगातार इसकी तीव्रता बढ़ती गई और पुलिस की बर्बरता भी बढ़ती गई।

भारत में भी कुछ समय से जारी है विरोध प्रदर्शन
भारत में हाल में नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन देखा गया। दिल्ली की राजधानी शहीन बाग में दो महीने से अधिक समय से प्रदर्शनकारी जमे हुए हैं। 25 फरवरी को जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आए हुए थे, उस दिन भी दिल्ली के कुछ इलाकों में सरकार समर्थक और सरकार विरोधी गुट एक दूसरे से भिड़ गए। इस दौरान काफी तोड़फोड भी हुई। ट्रंप के भारत दौरे पर होने के कारण निश्चित रूप से यह माना जा सकता है कि पूरी दुनिया के निवेशक समुदाय ने भारत के प्रदर्शनों को गंभीरता से लिया होगा। इससे पहले शुल्क बढ़ोतरी के मुद्दे पर देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भी प्रदर्शन हुआ था, जो बाद में सरकार समर्थक और सरकार विरोधी गुटों की आपसी झड़प में बदल गया था। हाल में सरकार की नीतियों के विरोध में कई और प्रदर्शन देश के अन्य हिस्सों में हुए हैं।

नवंबर तक देश में 34.90 अरब डॉलर का आया है एफडीआई
गौरतलब है कि चार फरवरी 2020 को वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में बताया था कि चालू कारोबारी साल में नवंबर तक भारत में 34.90 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। पिछले कारोबारी साल 2018-19 में देश को 62 अरब डॉलर का एफडीआई मिला था, जो जीडीपी का 2.37 फीसदी था। 2017-18 में 60.90 अरब डॉलर और 2016-17 में 60.22 अरब डॉलर का एफडीआई भारत में आया था। मंत्री ने साथ ही बताया था कि विश्व निवेश रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारत 2018 के 20वें पायदान से चढ़कर 2019 में नौवें पर पहुंच गया है। भारत ने 2019 में वैश्विक एफडीआई का 3.23 फीसदी हासिल किया है।

अस्थिरता का दायरा देशभर में फैलेगा तो निश्चित रूप से घटेगी एफडीआई
एसबीआई समूह के पूर्व एमडी शिव कुमार ने कहा कि भारत में सरकार की नीतियों के विरोध और समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों का दायरा अभी छोटा है। लेकिन यदि इसका दायरा बढ़ेगा, तो निश्चित रूप से इसका देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर होगा और एफडीआई प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि असली परेशानी तब होती है, जब भय के माहौल में विदेशी निवेशक देश से भागने लगते हैं और अपना पैसा बाहर निकालने लगते हैं। अभी तक तो यह नहीं हुआ है इसलिए फिलहाल चिंता की बात नहीं है। फिर भी अस्थिरता का दायरा यदि बढ़ेगा, तो निश्चित रूप से देश की जीडीपी में भारी गिरावट आएगी और एफडीआई घटेगा। गौरतलब है कि देश में पहले से ही सुस्ती का माहौल है और जीडीपी विकास दर काफी नीचे आ गई है।

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